Think-ink Club

समंदर

· Dr. Sneha S Hegde

तेरी आँखों में जो समंदर है
ना सोचा, ना समझा, उतर गया हूँ मैं।
अब तैरना तो आता नहीं मुझे
डूब ही जाऊंगा, अगर ना संभालो तुम।
लहरें तो तेरी अपनी हैं ना
मुझे भी आने दो इनके प्रवाह में।
इतना भी मत बचाओ मुझे कि
बचते-बचते खो जाऊं मैं।
दुनिया में खो जाने से तो अच्छा है कि
तेरी आँखों में ही डूबा रहूँ मैं।
यह सुकून है, यही तो है मेरी खुशी
रहने दो ना, तेरी लहरों के असर में! ~ चाँद