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भँवर

· sneha chaand

भँवर

जब तुम मुझे देखते हुए मुस्कुराते हो
वह तुम्हारे गालों में पड़ने वाले दो खाइयाँ…
मुझे गहराई में खींच लेते हैं
पानी में बने हुए भँवर की तरह।

हर दो जानिब तुम्हारे गाल पर
मख़ालिफ़ और दिलकश तजुर्बा मेरे लिए!
जैसे साहिल-ए-समंदर,
एक तरफ़ पूर्वी बहर से
फ़र्श उठता हुआ अलबेला आफ़ताब,
सुनहरी सुबह की हयात हैं।
तो एक और तरफ़ ढलती हुई शाम हैं,
पश्चिमी समंदर में उतरता हुआ
सुरखिला सूरज।

  • चाँद

Subject: “Bhanwar” that’s my next poem!
Mesmerized by that pair of dimples in her beloved’s cheeks, a girl describes how she is just absorbed deeply into the magical enchantments they cast on her!
I hope you all enjoy reading it…💫