तड़प
·
sneha chaand
तड़प
ज़्यादा कुछ मांग नहीं रहा हूं मैं तुमसे,
थोड़ी सी ही जगह चाहिए दिल में तेरे।
सिर्फ एक धड़कन का ही सही,
मेरा नाम रहे तेरे दिल की दहलीज़ पे।
हर पल ना सही…
कभी कभी तो धड़कू मैं,
तुम्हारे भीतर से ही गूंजता रहूं मैं।
एक धुन के तरह,
अल्फाज़ ना हो जिसका…
पर नगमा ऐसा की
तेरे दिल से कभी उतरे ही नहीं।
दिल लगा बैठा हूं मैं यहां!
अब तुम इसेे दोस्ती ना कहो।
तुम मेरे फरहत की वजह जो बन गई हो
अब तुम हरगिज़ इसे गलती ना कहो।
मुझे ऐसे ना ठुकराओ,
अब बस! तुम ऐसे ना तरसाओ,
ऐसे ना तड़पाओ मुझे।
आदत नही बन्ना है तेरी,
सिर्फ थोड़ा हक जताना है।
अपनी शिद्दत नही बनानी है तुझे,
सिर्फ थोड़ा सा ही प्यार जताना है।
थोड़ा सा ही लगाव लगालो तुम भी।
इससे ज़्यादा कुछ चाहिए ही नहीं मुझे,
इससेे कम कुछ मंज़ूर भी तो नहीं।
• चाँद
This is inbetween Zidd and Aziyat.