अक्स
·
sneha chaand
अक्स
जब तुम अपनी ही बातों में खोई हुई रहती हो
मैं तुम्हें देखते हुए इसी उलझन में डूबा रहता हूं कि
तुम्हारे नाक पर जो एक हीरा चमकता है ना
क्या वो तुम्हें और हसीन बना रहा है?
या तुम्हारे बेशुमार नूर ही वजह है,
जिसका अक्स है इस हीरे की तबिंदगी!
फिर यह भी एक सवाल उठ जाता है मन में मेरे,
क्या तुम हुबहू इक आईना हो
मेरे ही सताइश के!?
- चाँद
Subject: Been some days, and here I write my next poem ‘heera’. It’s a very short one this time.
Just some admirational words for a girl with a nose pin! How in love a guy becomes so observant that every tiny detail catches his attention!